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तेल-तिलहन बाजार में मिलाजुला रुख: सरसों और सोयाबीन में सीमित उठाव, कारोबारियों में सतर्कता

देशभर की प्रमुख मंडियों में आज तेल-तिलहन बाजार में हलचल बनी रही। सरसों और सोयाबीन दोनों ही प्रमुख तिलहनों में भाव सीमित दायरे में ही रहे, लेकिन खरीदी-बिक्री का माहौल कुछ सुधार की ओर इशारा करता दिखा। व्यापारियों के अनुसार,.....

Business 17 May
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देशभर की प्रमुख मंडियों में आज तेल-तिलहन बाजार में हलचल बनी रही। सरसों और सोयाबीन दोनों ही प्रमुख तिलहनों में भाव सीमित दायरे में ही रहे, लेकिन खरीदी-बिक्री का माहौल कुछ सुधार की ओर इशारा करता दिखा। व्यापारियों के अनुसार, इन दोनों ही फसलों में अभी कोई बड़ी तेजी की संभावना नहीं है, लेकिन कमज़ोर मांग और भारी स्टॉक की स्थिति ने बाजार को सतर्क बना रखा है। राजस्थान की अलवर, भरतपुर और श्रीगंगानगर मंडियों में सरसों का भाव ₹5500 से ₹5650 प्रति क्विंटल तक बना रहा, जबकि कुछ क्षेत्रों में भाव ₹5700 के आसपास भी बोले गए। जयपुर मंडी में दादरी रेट ₹11,375 दर्ज किया गया। हालांकि, सरकारी खरीदी की सुस्ती और मिलर्स की रुक-रुक कर हो रही मांग के चलते सरसों की तेजी में ठहराव दिखाई दे रहा है। वहीं, सरसों तेल के भाव में भी स्थिरता रही — कच्चा तेल ₹1070 और रिफाइंड ₹1165 प्रति 10 किलो पर बने रहे।

इसी के साथ सोयाबीन में भी बाजार का स्वरूप लगभग मिलते-जुलते हालात दिखा रहा है। इंदौर में सोयाबीन का भाव ₹4200 से ₹4400 प्रति क्विंटल के बीच बना रहा, जो पिछले कुछ दिनों की गिरावट के बाद एक तरह की स्थिरता को दर्शाता है। वहीं सोया कच्चा तेल ₹1065 और रिफाइंड तेल ₹1160 से ₹1170 प्रति 10 किलो के बीच बिकता देखा गया। हालांकि, प्रोसेसिंग यूनिट्स और मिलर्स की तरफ से नई खरीद में कोई बड़ी तेजी नहीं दिखाई दी, जिससे यह स्पष्ट है कि बाजार अभी सतर्कता की स्थिति में है। मंडियों में लूज व्यापार थोड़ा बेहतर रहा, लेकिन थोक में खरीद सीमित रही। व्यापारियों का मानना है कि आयात नीति, अंतरराष्ट्रीय कीमतों और आगामी मानसून की स्थिति जैसे कारक इस समय बाजार को दिशा देने में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि दोनों तिलहनों में फिलहाल बड़े उतार-चढ़ाव की संभावना कम है, लेकिन जैसे ही मानसून की स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी, बाजार में हलचल बढ़ सकती है।

वर्तमान में बाजार में ज्यादा स्टॉक, सीमित निर्यात और घरेलू उपभोग में स्थिरता जैसे फैक्टर कीमतों पर दबाव बनाए हुए हैं। लेकिन खाद्य तेल की खपत में अगर आने वाले समय में उछाल आता है या सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर सक्रियता बढ़ती है तो बाजार में तेजी संभव है। इस सबके बीच दलालों और व्यापारियों के लिए यह समय सूझबूझ से निर्णय लेने का है। एक ओर उन्हें किसानों और खरीदारों के बीच संतुलन साधना है, वहीं दूसरी ओर मंडियों की वास्तविक चाल और ट्रेंड्स पर पैनी नजर रखनी होगी।

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