भारत पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव और हालिया भारतीय सैन्य कार्रवाई के बाद पश्चिमी बंदरगाहों—विशेषकर मुंद्रा—के संचालन पर खतरा मंडरा रहा है।
ऑपरसेशन सिंदूर के ज़रिए, भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर लक्षित हमले किए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। अगर इस परिस्थिति में भारत अपने पश्चिमी बंदरगाहों को बंद करता है, तो इसका असर केवल सैन्य रणनीति तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक कृषि व्यापार और घरेलू बाजार भी बुरी तरह प्रभावित होंगे। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में रिकॉर्ड चावल उत्पादन और भारी भंडारण से वैश्विक चावल कीमतें पहले ही 'फ्लोर' पर आ चुकी हैं। अगर मुंद्रा जैसे बड़े निर्यात केंद्र से आपूर्ति ठप हो जाती है, तो वैश्विक बाजारों में और भी गिरावट और अस्थिरता आ सकती है।
प्रमुख कृषि वस्तुएं जो मई-जून में सबसे ज्यादा व्यापारित होती हैं:
बासमती चावल: $5.84 बिलियन का निर्यात (2023–24), दालें: 181% की वृद्धि के साथ $370.91 मिलियन का आयात (मई 2024), वनस्पति तेल: $1.45 बिलियन का आयात, 27% की वृद्धि, चाय और चीनी: निर्यात में उल्लेखनीय उछाल, प्याज: निर्यात पर प्रतिबंध हटने के बाद पुनः व्यापार में शामिल
इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान और भारत के बीच बढ़ते तनाव के कारण किराना बाजार से संबंधित व्यापार, जैसे कि खारक, अंजीर, मुनक्का, चूरन, खसखस आदि का आयात-निर्यात भी बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है।ये वस्तुएं विशेष रूप से पश्चिमी बंदरगाहों के माध्यम से खाड़ी देशों और पाकिस्तान के साथ व्यापार में आती-जाती हैं। व्यापारियों ने पहले ही इन वस्तुओं की आपूर्ति में रुकावट की आशंका जताई है। इसके साथ ही यह अनुमान भी लगाया गया है कि यदि स्थिति बिगड़ती है तो 1100 से 1300 करोड़ रुपये तक के व्यापार पर तत्काल प्रभाव पड़ सकता है।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि युद्ध की स्थिति बनी रही और बंदरगाहों का संचालन बाधित हुआ, तो भारत की आर्थिक आपूर्ति श्रृंखला, किराना व्यापार और वैश्विक कृषि बाजार पर गहरा असर पड़ेगा।