पिछले एक हफ्ते में इंदौर मंडी में काबुली चना (काउंट 42-44, कंटेनर, 1% CD) के भाव में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी रहा, जहां 19 मई को ₹11,400/क्विंटल से शुरू होकर भाव 21 मई तक गिरते-गिरते ₹11,100 तक आ पहुंचे। इसके बाद 22 मई को बाजार में हल्की मजबूती दिखी और ₹11,250 तक भाव लौटे, लेकिन यह टिक नहीं सके। सप्ताह के अंत तक, यानी 23 और 24 मई को फिर से ₹11,100 की निचली स्तर पर बाजार बंद हुआ। हालांकि, 26 मई को ₹100 की मामूली तेजी आई और बाजार ₹11,200/क्विंटल पर बंद हुआ, लेकिन यह तेजी भी ज्यादा उत्साहजनक नहीं मानी जा रही है क्योंकि इसके पीछे कोई ठोस मांग या कारोबारी गतिविधि का आधार नहीं दिख रहा।
इस गिरावट और सीमित रिकवरी के पीछे मुख्य कारणों में मांग की कमजोर स्थिति और किसानों की सीमित बिकवाली प्रमुख हैं। देश के विभिन्न खपत बाजारों—जैसे दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात—से पूछताछ तो आ रही है, लेकिन खरीददारी केवल ज़रूरत के हिसाब से ही हो रही है। निर्यात की दिशा में भी कोई नई डील या कंटेनर लेवल की मांग फिलहाल सामने नहीं आई है, जिससे व्यापारी और स्टॉकिस्ट दोनों ही सतर्क रुख अपनाए हुए हैं। किसान भी फिलहाल माल रोक कर बैठे हैं क्योंकि मौजूदा भाव उन्हें संतोषजनक नहीं लग रहे और वे मानसून की शुरुआत के बाद संभावित तेजी की उम्मीद में स्टॉक नहीं निकाल रहे। गुजरात की राजकोट मंडी से मिली जानकारी के अनुसार, वहां भी आवक तो सामान्य है लेकिन उठाव बहुत धीमा है, जिससे स्टॉक मंडियों में जमा होता जा रहा है।
फिलहाल बाजार पूरी तरह असमंजस की स्थिति में है। एक तरफ किसान बेचना नहीं चाहते, दूसरी ओर व्यापारी खरीद को लेकर आक्रामक नहीं हैं। मानसून ने केरल तट पर दस्तक दे दी है और अगले 10-15 दिनों में मध्य और उत्तर भारत में इसके प्रभाव की संभावना है, जिससे ग्रामीण मंडियों की आवक पर असर पड़ सकता है। लेकिन केवल कम आवक से तेजी संभव नहीं होगी; इसके लिए वास्तविक मांग और निर्यात से जुड़ी खबरों का आना जरूरी है। टेक्निकल रूप से बाजार तब तक मजबूती नहीं पकड़ पाएगा जब तक ₹11,500 के स्तर को पार कर टिकाव नहीं मिलता। ऐसे में व्यापारियों के लिए यही सलाह है कि खरीदी केवल आवश्यकता के आधार पर करें और अनावश्यक स्टॉकिंग से बचें।
कुल मिलाकर, काबुली चना बाजार में फिलहाल संतुलन की स्थिति नहीं है। भाव पिछले सप्ताह की तुलना में ₹200 नीचे हैं और बाजार में खरीद-बिक्री दोनों तरफ संकोच बना हुआ है। यदि आने वाले सप्ताहों में मांग में सुधार या निर्यात की कोई सकारात्मक खबर मिलती है तो यह बाजार को सहारा दे सकती है, अन्यथा ₹11,000 के आस-पास ही रेंजबाउंड मूवमेंट की संभावना अधिक दिख रही है।