यूरोप में नरम गेहूं के उत्पादन और निर्यात में भारी गिरावट दर्ज की गई है, वहीं भारत में गेहूं की आवक तेज़ होने के बावजूद बाजार में अधिक मंदी की संभावना नहीं दिख रही।
यूरोपीय संघ आयोग द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, विपणन वर्ष 2024-25 में अब तक 1.747 करोड़ टन नरम गेहूं का निर्यात किया गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 34% कम है। इसमें रोमानिया सबसे बड़ा निर्यातक बना हुआ है, जिसने 47.80 लाख टन नरम गेहूं निर्यात किया है। इसके बाद लिथुआनिया (23.60 लाख टन), जर्मनी (21.50 लाख टन), फ्रांस (20.50 लाख टन), लातविया (19.70 लाख टन), और बुल्गारिया (17.60 लाख टन) रहे।
इस गिरावट के पीछे फ्रांस में कमजोर उत्पादन और काला सागर क्षेत्र से मिल रही प्रतिस्पर्धा प्रमुख कारण हैं। हालांकि, आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ देशों जैसे इटली, फ्रांस, बुल्गारिया और आयरलैंड के निर्यात आंकड़े अपडेट नहीं किए गए हैं, जिससे आंकड़ों में अंतर हो सकता है। इसके अलावा, इस अवधि में यूरोप से जौ का निर्यात 41 लाख टन रहा है, जो पिछले साल की तुलना में 21% कम है। वहीं, मक्का का आयात इस साल अब तक 1705 मिलियन टन तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष से 11% अधिक है।
दूसरी ओर, भारत में गेहूं की नई फसल की आवक मध्य प्रदेश और राजस्थान में बीते 20-25 दिनों से जारी है। सरकारी खरीद 10 लाख मीट्रिक टन के करीब पहुंच चुकी है। कुल उत्पादन का अनुमान 1160 लाख मीट्रिक टन लगाया गया है, जबकि सरकार ने इस वर्ष 310 लाख मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य तय किया है।
बाजार में फिलहाल गेहूं का भाव ₹2900 से घटकर ₹2625 प्रति क्विंटल तक आया था, लेकिन अब ₹2660 पर स्थिर हो गया है। जानकारों का मानना है कि हरियाणा और पंजाब से जब गेहूं की आवक और बढ़ेगी, तब भी ₹2600 का भाव टूटना मुश्किल है।
दिल्ली बाजार में गेहूं का व्यापार ₹2625 से ₹2700 के दायरे में चलने की संभावना है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, आगरा, मथुरा, और कानपुर जैसे क्षेत्रों में नए माल की आवक हो चुकी है, जहां स्टॉकिस्ट ₹2400 से ₹2500 प्रति क्विंटल तक खरीदारी कर रहे हैं। हरियाणा और पंजाब में आवक अगले 10 दिनों में शुरू होने की संभावना है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे बाजार में गिरावट के बजाय 25–30 रुपये की अस्थायी तेजी आ सकती है।
निष्कर्ष: वैश्विक स्तर पर यूरोप से नरम गेहूं के निर्यात में भारी गिरावट देखी जा रही है, जबकि भारत में अच्छी आवक और सरकारी खरीद के चलते बाजार स्थिर बना हुआ है। आने वाले दिनों में भी घरेलू बाजार में बड़ी गिरावट की संभावना कम ही नजर आ रही है।