सोयाबीन के व्यापारियों और दलालों के लिए राहत की खबर है। भारत-पाकिस्तान के बीच संवाद की समाप्ति के बाद बंदरगाहों (पोर्ट्स) पर जहाजों की गतिविधि अब सामान्य होती नजर आ रही है। इसके साथ ही बर्थिंग प्रक्रिया भी जल्द शुरू होने की संभावना है, जिससे आपूर्ति श्रृंखला में किसी भी प्रकार की रुकावट की आशंका नहीं है।
इस स्थिर आपूर्ति ने खाद्य तेल बाजार को दोबारा पुराने स्तरों पर ला खड़ा किया है। हालांकि, नाफेड द्वारा अब भी निचले स्तर की बोलियों (बिड्स) को लगातार खारिज किए जाने के कारण कीमतों में किसी बड़ी गिरावट को रोक दिया गया है।
सरकार की कड़ी निगरानी और नाफेड के पास मौजूदा लगभग 15 लाख टन सोयाबीन स्टॉक के कारण बाजार में दबाव बना हुआ है, जिससे कीमतें नियंत्रित बनी हुई हैं। यदि भावों में असामान्य तेजी देखी जाती है, तो नाफेड द्वारा कम भाव पर भी बोलियों को स्वीकार कर बाजार को संतुलित करने की कोशिश की जा सकती है।
क्या कहता है बाजार संकेत?
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📉 तेज़ी की संभावना कम: भारी स्टॉक और सरकारी हस्तक्षेप के कारण भावों में अधिक बढ़ोतरी की संभावना कम।
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🚢 सामान्य आपूर्ति: पोर्ट्स पर बर्थिंग जल्द शुरू, डिलीवरी में कोई रुकावट नहीं।
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🏦 सरकारी नियंत्रण: बाजार में स्थिरता बनाये रखने के लिए सक्रिय हस्तक्षेप।
निष्कर्ष:
अभी सोयाबीन बाजार में संतुलन बना हुआ है। व्यापारियों को चाहिए कि वे भावों में तेजी की अपेक्षा करते हुए अत्यधिक स्टॉकिंग से बचें और नाफेड की रणनीति पर नजर बनाए रखें। आने वाले दिनों में यदि कोई तेजी आती भी है तो वह सीमित रहेगी।