Install App for Latest Agri Updates

->

गेहूं बाजार में स्थिरता का संघर्ष: भाव संभले, लेकिन खरीदार नहीं | व्यापारियों के लिए आगे की राह चुनौतीपूर्ण

गेहूं बाजार में स्थिरता का संघर्ष: भाव संभले, लेकिन खरीदार नहीं | व्यापारियों के लिए आगे की राह चुनौतीपूर्ण ▶️ भाव बढ़े लेकिन खरीदार नहीं! ▶️सरकारी बिक्री की आहट से मंडी में हलचल ▶️ नरेला में ₹2370, बाकी मंडियों में क्या हाल? ▶️क्या गेहूं में फिर आएगी तेजी?

Business 23 May
marketdetails-img

उत्तर भारत की प्रमुख अनाज मंडियों में इस सप्ताह गेहूं की कीमतों में मामूली स्थिरता देखी गई है। मंडियों में आवक घटने के कारण भावों को कुछ सहारा जरूर मिला है, लेकिन मांग की सुस्ती ने बाजार को सुचारू गति नहीं दी। आटा मिलों और थोक खरीदारों की ओर से खरीदी बेहद सीमित रही, जिससे कारोबारी माहौल ठंडा बना रहा।

कानपुर मंडी में गेहूं की कीमतें ₹2200 से ₹2240 प्रति क्विंटल के बीच रही, वहीं हाथरस में भाव ₹2150 से ₹2200 तक रहे। बरेली में थोड़ी ऊंची दरें देखने को मिलीं, जहाँ भाव ₹2250 से ₹2300 तक पहुंचे, पर वहां भी खरीदी का टर्नआउट अपेक्षा से कमजोर रहा। दिल्ली की नरेला मंडी में ऊँचे भाव ₹2340 से ₹2370 तक देखे गए, लेकिन यह सीमित मात्रा की अच्छी क्वालिटी की खेपों तक ही सीमित रहा। मध्यप्रदेश की मंडियों जैसे सागर, भिंड और छतरपुर में भी गेहूं की कीमतें ₹2180 से ₹2260 तक रही। जयपुर, चुरू और नागौर जैसी मंडियों में राजस्थान का गेहूं ₹2160 से ₹2250 के दायरे में बिका।

मांग की बात करें तो आटा मिलों की ओर से कोई विशेष सक्रियता देखने को नहीं मिली। निर्यात की दिशा से भी फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है, जिससे निजी व्यापारियों की रुचि कम होती जा रही है। ऐसे में सरकारी नीतियों की भूमिका निर्णायक बनती जा रही है। यदि जल्द ही ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत बड़े पैमाने पर सरकारी गेहूं बाजार में उतारा गया, तो कीमतों पर फिर से दबाव बढ़ सकता है।

मंडियों में ट्रकों की संख्या में भी गिरावट देखी गई है, जो आवक में कमी का संकेत देती है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश में किसान धीरे-धीरे आवक रोक रहे हैं, जिससे मंडियों में माल की उपलब्धता सीमित होती जा रही है। यह स्थिति अगले सप्ताह भी बनी रह सकती है, जिससे भावों को कुछ और स्थायित्व मिलने की संभावना है।

व्यापारियों के लिए इस समय सतर्कता जरूरी है। मंडी भावों में मामूली सुधार एक अवसर जरूर है, लेकिन जब तक आटा मिलों की सक्रिय भागीदारी और निर्यात समर्थन नहीं बढ़ता, तब तक बाजार में तेजी की उम्मीद सीमित है। कई स्थानों पर किसान भावों से असंतुष्ट होकर स्टॉक रोक रहे हैं, जिससे आने वाले समय में मंडी में माल की तंगी और भावों में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है।

यदि मौसम अनुकूल रहा और खरीफ की बुवाई ठीक से शुरू होती है, तो रबी के गेहूं की मांग में पुनरुद्धार संभव है। लेकिन फिलहाल, गेहूं व्यापार के लिए यह समय रणनीतिक धैर्य और मूल्य विश्लेषण का है।

Related News

Market Rates

Chana

View ->


Ground Nut

View ->


Wheat

View ->


Soybean

View ->



Moong

View ->