आज के मंडी कारोबार में गेहूं और मक्का दोनों ही प्रमुख अनाजों में मिलाजुला रुख देखा गया। एक ओर जहां गेहूं के बाजार भाव स्थिर बने रहे, वहीं मक्का में लगातार तीसरे सप्ताह मांग की कमी और कमजोर गतिविधियों का असर दिखाई दिया।
गेहूं बाज़ार का हाल:
देश के प्रमुख बाजारों जैसे इंदौर, उज्जैन, विदिशा और शिवपुरी में गेहूं की आवक सामान्य दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार, नवीन गेहूं की क्वालिटी मिश्रित रही, जिससे भावों में सीमित उतार-चढ़ाव देखने को मिला। इंदौर मंडी में नकद लेन-देन में गेहूं की कीमतें ₹2,150 से ₹2,200 प्रति क्विंटल तक रही, वहीं प्रीमियम क्वालिटी वाले माल के लिए कुछ सौदे ₹2,250 प्रति क्विंटल तक हुए।
स्टॉकिस्ट और मिलर्स दोनों ही इस समय सतर्कता के साथ खरीददारी कर रहे हैं। सरकार द्वारा गेहूं की ओपन मार्केट बिक्री योजना (OMSS) के अंतर्गत भंडारण से बिक्री की आशंका के चलते व्यापारियों में भविष्य की रणनीति को लेकर असमंजस बना हुआ है।
दक्षिण भारत में गेहूं की मांग अभी भी सीमित है, जिससे उत्तर भारत की मंडियों में आवक के बावजूद कीमतों पर दबाव बना हुआ है। निर्यात की संभावनाएं भी वर्तमान में कमजोर हैं। इससे साफ है कि फिलहाल बाजार में कोई तेज़ी की संभावना नजर नहीं आ रही, जब तक कि उपभोक्ता मांग में सुधार न हो या सरकारी नीतियों में कोई बदलाव न आए।
मक्का बाज़ार का हाल:
मक्का में इस सप्ताह भी कमजोर उपभोक्ता मांग और निर्यातक गतिविधियों की धीमी गति ने बाजार को प्रभावित किया। विदर्भ, छिंदवाड़ा, और कटनी मंडियों से मिली रिपोर्ट्स के अनुसार, थोक खरीदारों की कमी के चलते मंडियों में मक्का की खरीदी बेहद सीमित रही।
आज मक्का के भाव ₹1,950 से ₹2,050 प्रति क्विंटल के दायरे में रहे। अच्छी क्वालिटी के माल के लिए कुछ स्थानों पर ₹2,100 तक भी सौदे हुए, लेकिन वह संख्या में बेहद सीमित थे। मुर्गी दाना उद्योग और स्टार्च मिलों से भी फिलहाल कोई बड़ी खरीदी नहीं हो रही, जिससे व्यापारी वर्ग सतर्कता बरत रहा है।
फील्ड रिपोर्ट्स के अनुसार, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में मौसमी बारिश के बाद फसल की स्थिति में सुधार देखा गया है, जिससे आने वाले दिनों में आवक में वृद्धि हो सकती है। परंतु यदि खरीदारों की रुचि नहीं बढ़ती है, तो मक्का की कीमतों पर दबाव और बढ़ सकता है।
दोनों ही अनाजों में बाजार मांग पर केंद्रित है। न तो कोई जबरदस्त तेजी दिख रही है, न ही भावों में तेज गिरावट। व्यापारियों की रणनीति फिलहाल "देखो और इंतजार करो" की है। मंडियों में वास्तविक खरीदारों की कमी के कारण छोटे बिचौलियों और किसानों को कुछ दबाव का सामना करना पड़ सकता है।