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गेहूं खरीद का रफ्तार धीमा, लेकिन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा स्टॉक: पंजाब और हरियाणा की बड़ी भागीदारी

सरकारी एजेंसियों जैसे कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा बफर स्टॉक के लिए गेहूं की खरीद का रफ्तार अब धीमा होता नजर आ रहा है, जिसके चलते राज्यों में गेहूं के ढेर लगने लगे हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अब तक लगभग .........

Business 28 Apr
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सरकारी एजेंसियों जैसे कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा बफर स्टॉक के लिए गेहूं की खरीद का रफ्तार अब धीमा होता नजर आ रहा है, जिसके चलते राज्यों में गेहूं के ढेर लगने लगे हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अब तक लगभग 200 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 135.8 लाख टन था।

सूत्रों के अनुसार, 24 अप्रैल को गेहूं की दैनिक खरीद लगभग 1.47 लाख टन रही, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 11.5% कम है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि समग्र रूप से इस वर्ष अब तक की खरीद में वृद्धि दर्ज की गई है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में निजी व्यापारियों द्वारा गेहूं की सक्रिय खरीद के कारण हाल ही में कीमतों में मामूली तेजी देखी गई है।

वहीं, पंजाब और हरियाणा के कुछ जिलों में अनाज की धीमी निकासी के कारण गेहूं के भंडार जमा हो गए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, नई बने साइलो (गोदाम) अनाज से पूरी तरह भर चुके हैं और सरकार इन राज्यों से गेहूं बाहर ले जाने के लिए अतिरिक्त रैक की व्यवस्था कर रही है।

पंजाब में इस सीजन में अब तक लगभग 6.84 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जो पिछले वर्ष इसी समय पर 4.58 लाख टन थी। वहीं हरियाणा में भी गेहूं खरीद का आंकड़ा पिछले वर्ष के 5.19 लाख टन से बढ़कर इस वर्ष 5.89 लाख टन तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि हमेशा की तरह इस वर्ष भी पंजाब और हरियाणा केंद्रीय पूल में बड़ा योगदान देने वाले हैं।

केंद्र सरकार ने राज्यों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर 2025-26 रबी विपणन सीजन के लिए गेहूं खरीद का लक्ष्य 312.7 लाख टन निर्धारित किया है। इसमें से:

  • पंजाब से 124 लाख टन

  • हरियाणा से 75 लाख टन

  • मध्यप्रदेश से 60 लाख टन

  • उत्तरप्रदेश से 30 लाख टन

  • राजस्थान से 20 लाख टन

  • बिहार से 2 लाख टन

  • गुजरात से 1 लाख टन गेहूं खरीदे जाने का अनुमान है।

फिलहाल, सरकार का फोकस खरीदे गए गेहूं के प्रबंधन और भंडारण पर है ताकि बफर स्टॉक को सुरक्षित और व्यवस्थित रखा जा सके। आने वाले सप्ताहों में निजी खरीदी और सरकारी खरीद के बीच संतुलन साधना चुनौतीपूर्ण रहेगा।

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