हरियाणा में प्रति हेक्टेयर गेहूं की उत्पादकता बढ़कर 22 क्विंटल हो गई है, जो पहले 18 क्विंटल थी। देश के प्रमुख उत्पादक राज्यों—मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और बिहार—में मंडियों में गेहूं की आवक तेज बनी हुई है। इसके बावजूद, सरकारी और निजी खरीद के चलते बाजार में अपेक्षित मंदी नहीं देखी जा रही। हालांकि दिल्ली मंडी में कीमतें ₹10–15 नरम होकर ₹2640 प्रति क्विंटल दर्ज की गईं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में, शिकागो में गेहूं वायदा कीमतें सप्ताह के तीसरे कारोबारी दिन 0.20% बढ़कर $5.26 ¾ प्रति बुशल रहीं। यह तेजी तकनीकी खरीदारी के चलते आई, लेकिन अमेरिका में संभावित बारिश ने बढ़त को सीमित रखा। वहीं, मक्का और सोयाबीन में क्रमशः 0.10% और 0.90% की गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि अमेरिका में तेज बुवाई और चीन-अमेरिका व्यापार तनाव से निर्यात दबाव में रहा।
यूरोप में यूरोनेक्स्ट गेहूं वायदा 206 यूरो प्रति टन पर आ गया, जो पिछले आठ महीनों का दूसरा सबसे कमजोर स्तर है। यूरोपीय और काला सागर क्षेत्र में मौसम की अनुकूलता तथा फ्रेंच गेहूं की कम कीमतों ने वैश्विक निर्यात मांग को प्रभावित किया है। मिस्र जैसे बाजारों में फ्रेंच गेहूं की प्रतिस्पर्धी दरों ने मांग को बनाए रखा है।
निष्कर्ष: घरेलू स्तर पर रिकॉर्ड उत्पादन और सरकारी प्रोत्साहन से कीमतें स्थिर बनी हुई हैं, वहीं वैश्विक स्तर पर आपूर्ति, मौसम और व्यापार युद्ध जैसे कारकों ने कीमतों को सीमित दायरे में रखा है। आगामी सप्ताहों में मौसम और वैश्विक निर्यात सौदों की दिशा बाजार को प्रभावित करेगी।