देशभर की प्रमुख मंडियों में गेहूं की कीमतों में तेज़ी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, जिसने व्यापार जगत को एक नई हलचल में डाल दिया है। प्रतिकूल मौसम, बारिश से प्रभावित फसलें और मंडियों में घटती आवक ने बाजार की आपूर्ति को प्रभावित किया है, जिसके चलते कीमतों में लगातार उछाल दर्ज किया जा रहा है। विशेष रूप से दिल्ली मंडी में केवल चार दिनों में गेहूं की कीमतें ₹2,645 से बढ़कर ₹2,710 प्रति क्विंटल तक पहुंच गईं, जो बाजार में मजबूत मांग और सीमित आपूर्ति की स्पष्ट तस्वीर पेश करता है।
बड़ी कंपनियों द्वारा की जा रही आक्रामक खरीद और अंडमान क्षेत्र में मानसून के जल्दी आगमन की संभावनाओं ने बाजार में स्टॉकिंग की होड़ शुरू कर दी है। इससे गेहूं की प्रीमियम क्वालिटी और हल्की बारिश से प्रभावित गेहूं के बीच मूल्य अंतर भी घटकर ₹50-₹75 प्रति क्विंटल रह गया है, जो पिछले सप्ताह तक ₹125 था। कोलकाता में जहां थोक आपूर्ति सीमित रही, वहीं खरीदारों ने उच्च गुणवत्ता के गेहूं के लिए ₹2,850/क्विंटल तक भुगतान करने की रुचि दिखाई। दक्षिण भारत में कीमतें ₹2,950/क्विंटल तक जा पहुंची हैं – जो इस सीजन का उच्चतम स्तर माना जा रहा है।
राज्यवार बात करें तो मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात की मंडियों में दरें ₹2,490 तक पहुंच गई हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में गेहूं ₹2,510 पर स्थिर है। सरकारी स्तर पर भी खरीद तेज़ी से हो रही है – FCI और राज्य एजेंसियां अब तक 283 लाख टन से अधिक गेहूं की खरीद कर चुकी हैं, जबकि राष्ट्रीय लक्ष्य को बढ़ाकर 332.7 लाख टन कर दिया गया है। मध्य प्रदेश ने भी अपना लक्ष्य 60 से बढ़ाकर 80 लाख टन कर दिया है।
इन सभी कारकों को देखते हुए बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में गेहूं की कीमतों में मजबूती बनी रह सकती है। हालांकि, सरकारी भंडारण और खरीदी से यह संभावना भी बनी हुई है कि भावों में अति-उछाल सीमित रहेगा। वर्तमान भाव मई महीने के उच्चतम स्तर पर हैं, ऐसे में व्यापारियों को सलाह दी जाती है कि वे सावधानीपूर्वक और बाजार की स्थितियों को ध्यान में रखकर सौदे करें।