पिछले हफ्ते दिल्ली मंडी में गेहूं की शुरुआत सोमवार को ₹2720/25 प्रति क्विंटल पर हुई थी और सप्ताह के अंत में शनिवार को यह ₹2740 पर बंद हुआ। पूरे हफ्ते मांग बनी रहने से गेहूं में ₹15 की मजबूती दर्ज की गई। खास बात यह रही कि इस बार सरकारी खरीद कमजोर रही। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े उत्पादक राज्यों में सरकार अपना खरीद लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई, जबकि मध्यप्रदेश में केवल बोनस देने की वजह से ही खरीद संभव हो सकी। दूसरी ओर, प्राइवेट प्लेयर्स ने इस बार बड़ी मात्रा में खरीदारी की है। नतीजतन, कई बड़े जमींदारों और मध्यम किसानों के पास अच्छा खासा स्टॉक अब भी उपलब्ध है। सरकारी खरीद अब तक लगभग 300 लाख टन के करीब पहुंच चुकी है।
अगर सरकार बफर नॉर्म को 75 लाख टन से बढ़ाकर 125 लाख टन करती है, तो आने वाले समय में बाजार में और भी अच्छी तेजी देखने को मिल सकती है।
उधर, प्रोसेसिंग उत्पादों की बात करें तो पश्चिम बंगाल के बाजारों में मैदा के भाव ₹50 से ज्यादा बढ़े। कोलकाता में गेहूं की कीमतें ₹20 तक मजबूत रहीं, जबकि दक्षिण भारत की मिलों में गेहूं ₹70 तक तेज रहा। बेंगलोर और हैदराबाद में मिलर्स बढ़े हुए भावों पर लगातार खरीदारी कर रहे हैं। झारखंड लाइन में भी मैदा ₹50 से अधिक तेज हुआ है। उत्तर प्रदेश के अधिकतर बाजारों में गेहूं, आटा, मैदा और सूजी के भाव में भी ₹50 तक की मजबूती देखने को मिली। रेक लोडिंग का सपोर्ट मिलने से बाजार को अतिरिक्त बल मिला है, और फिलहाल तेजी का रुख बना हुआ है।