बीते सप्ताह दिल्ली मंडी में गेहूं के दामों में लगातार तेजी देखने को मिली। सोमवार को जहां गेहूं की कीमतें ₹2,625-2,630 प्रति क्विंटल के स्तर पर थीं, वहीं सप्ताह के अंत यानी शनिवार तक यह ₹2,660 तक पहुंच गई। यानी पूरे सप्ताह में 30 से 35 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। विश्लेषकों के अनुसार, यह उछाल मुख्यतः दिल्ली लाइन में आवक की कमी, मिलर्स और ट्रेडर्स की मांग में बढ़ोतरी और सरकारी खरीद के कारण आया है।
आवक घटी, मांग बढ़ी
दिल्ली मंडी में इस बार गेहूं की आवक पिछले साल के मुकाबले 50% से भी कम रही है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों से आमतौर पर जो आपूर्ति होती थी, वह इस बार सरकारी खरीद केंद्रों की ओर मुड़ गई है। इन राज्यों के किसान बेहतर भाव (MSP) मिलने के कारण मंडियों की बजाय सीधे सरकार को माल बेच रहे हैं।
दिल्ली के व्यापारी राकेश गर्ग बताते हैं, “बाजार में स्टॉक कम है और मांग ज्यादा। ऐसे में अगर आवक का यही स्तर बना रहा, तो अप्रैल के अंत तक गेहूं ₹2,700 प्रति क्विंटल तक भी जा सकता है।”
सरकारी खरीद ने बदला समीकरण
सरकार की आक्रामक खरीदी नीति ने भी बाजार की दिशा को प्रभावित किया है। इस रबी सीजन में अब तक 100 लाख टन से अधिक गेहूं की खरीद हो चुकी है। पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में एमएसपी पर तेज़ खरीद ने प्राइवेट ट्रेडर्स की पहुंच को सीमित कर दिया है, जिससे खुली मंडियों में गेहूं की उपलब्धता कम हो गई है।
मौसम और गुणवत्ता का असर
उत्तर प्रदेश के शाहबाद बेल्ट और अन्य क्षेत्रों में हाल की बारिश के कारण मंडियों में नमी वाला 'लस्टर लॉस्ट' गेहूं आ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार ऐसे गेहूं की मात्रा पिछले साल से ज्यादा है। हालांकि, यूपी में साल भर चमकदार गेहूं की मांग बनी रहने की संभावना है, जिससे अच्छे गेहूं की कीमतों को समर्थन मिलता रहेगा।
क्या ₹2700 संभव है?
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अगले दो हफ्तों में गेहूं के दामों में हल्का उतार-चढ़ाव संभव है, लेकिन अगर आवक का दबाव नहीं बढ़ा तो दिल्ली लाइन में ₹2,700 प्रति क्विंटल का स्तर छूना संभव है। हालांकि, जैसे ही नई फसल की आवक बढ़ेगी और सरकार की खरीद का लक्ष्य पूरा होगा, कीमतों में स्थिरता आने की संभावना है।
निष्कर्ष:
कम आवक, मिलर्स और ट्रेडर्स की मजबूत मांग, और स्टॉकिस्टों की सक्रियता ने बाजार को मजबूती दी है। साउथ लाइन से भी मांग बनी हुई है। वहीं, पंजाब में हल्की बारिश जरूर हुई, लेकिन अब तक इससे फसल को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। ऐसे में निकट भविष्य में गेहूं की कीमतें स्थिर या थोड़ी और ऊँची बनी रह सकती हैं।
किसानों और व्यापारियों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार पर नजर बनाए रखें और मांग-आवक के अनुसार रणनीति बनाएं।